लेखनी प्रतियोगिता -08-Dec-2022 बालिका वधू
विषय-बालिका वधू
कहानी शानवी और अजय की है।
शानवी एक गरीब परिवार से थी। उसके पापा का बचपन में ही देहांत हो गया था। उसकी मम्मी मेहनत मजदूरी करके गुजारा करती थी। लेकिन शानवी बहुत ही होशियार लड़की थी। वह पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहती थी।
जैसे-जैसे शानवी बड़ी होने लगी उसकी मां को शादी की चिंता सताने लगी। मैं शानवी की शादी कैसे करूंगी। इसी चिंता में डूबी रहती थी।
सानवी अब 16 साल की हो गई थी। सानवी इस तरह से बढ़ रही थी जैसे बरगद का पेड़ बढ़ता है। दिन रात यही चिंता लगी रहती थी।
1 दिन की बात है शानवी के लिए एक रिश्ता आता है।
शानवी के लिए जो रिश्ता आता है बहुत ही अमीर परिवार से होते हैं और परिवार शिक्षित होता है। अजय भी बहुत ही समझदार और होनार लड़का था।
ऐसा परिवार देखकर शानवी की मां कैसे मना कर देती। लेकिन शानवी अभी नाबालिक थी वह 16 साल की ही थी इसलिए शादी के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन एक तरफ अपनी मां की परिस्थिति देखकर वह शादी के लिए हां कर देती है।
अजय और शानवी का रिश्ता तय हो जाता है।
कुछ महीनों के बाद
अजय और शानवी की शादी हो जाती है। मजबूरी के कारण एक बालिका को शादी करनी पड़ी और वह बालिका वधू बन गई। लेकिन अजय का स्वभाव बहुत ही सुशील था। शानवी बालिका थी इसलिए अजय ने उससे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। और दोस्त होने का फर्ज निभाया। अजय ने शानवी से पूछा क्या तुम आगे पढ़ना चाहती हूं शानवी ने हां किया और कहा क्या मैं आगे पढ़ सकती हूं?
अजय ने कहा -क्यों नहीं? बिल्कुल पढ़ सकती हो। अच्छा तो तुम्हारा सपना क्या था? मेरा सपना कलेक्टर बनना था लेकिन वह सपना अधूरा ही रह गया मेरी शादी हो गई और मैं बालिका वधू बन गई।
शानवी की आंखें नम हो जाती हैं।
अजय कहता है तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें पढ़ाऊंगा और कलेक्टर बनाऊंगा एक दोस्त हूं तुम्हारा और दोस्ती का फर्ज पूरा करूंगा।
इस तरह शानवी मन लगाकर आगे की पढ़ाई करती है और जब वह 23 साल की होती है वह एक कलेक्टर बन जाती है।
जब शानवी का सपना पूरा हो जाता है तब अजय और शानवी दोबारा शादी करते हैं जिससे वह बालिका वधू न बनकर वधू बन जाती है और दोनों पति-पत्नी की तरह अपनी गृहस्थी बसाते हैं।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Pranali shrivastava
10-Dec-2022 09:14 PM
Nice 👍🏼
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shweta soni
09-Dec-2022 07:33 PM
Bahut khub 👌
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Abhinav ji
09-Dec-2022 08:59 AM
Very nice👍
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